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वो.....

उसके होंठो पर जब भी छायी है मुस्कान

दो पत्तियाँ उस फूल की लडखडाई होंगी

करने को उसके तेज का सामना

उगते सूरज की किरण भी धूप से नहाई होगी |

उसके कदमों को छूने की चाहत में

जिसने रात भर किया हो इंतज़ार

वो सुबह की ओंस

फूली समाई न होगी |

उसकी आँखों की चमक पाने को

बेसब्र रही जो रात भर

सुबह को लोट जाने पर

वो चाँदनी भी पछताई होगी |

साथ उड़ते उसके आँचल के

लहराते बालो को देखकर

साथ बहती है जो

वो हवा भी शरमाई होगी |

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